Hindi Poem ( बचपन सुहाना ) Best Hindi Poems – Poem On Bachpan In Hindi
Hindi Poem ( बचपन सुहाना ) Best Hindi Poems -Poem On Bachpan In Hindi

बहुत याद आता है बचपन सुहाना,
वो मासूम जीवन वो गुजरा जमाना..
कोई फिर से लौटा दे बचपन के वो दिन,
वो जब सारी दुनिया से दिल था बेगाना..
गुड्डे और गुड़ियों की शादी कराना,
वो मिट्टी के बर्तन वो खाना पकाना..
बचपन की यादें हमेशा रहेंगी,
वो बारिश में कागज की कश्ती चलाना..
कोई फिर से लौटा दे…….
वो बापू के संग रोज खेतों पे जाना,
वो गेहूँ की फसलें वो दोपहर का खाना..
है उस खाने का स्वाद अब तक जुबां पर,
वो बैलों की जोड़ी वो हल का चलाना..
कोई फिर से लौटा दे…..
वो भैया के संग रोज स्कूल जाना,
वो छुट्टी की खातिर बहाने बनाना..
लिखा था जो तख्ती पे वो पहला अक्षर ,
नहीं है भुलाना ,नहीं है भुलाना..
कोई फिर से लौटा दे…
वो दादी का किस्से कहानी सुनाना,
वो छुट्टी तो नानी के घर ही बिताना..
छुट्टी के दिन वो नही आयेंगे अब,
बड़ा सा वो आँगन था अपना ठिकाना..
कोई फिर से लौटा दे..
मगर वो ही आँगन सिमट क्यों रहा है,
क्योँ मासूम बचपन का दम घुट रहा है..
कैसे ये कह दें के आजाद हैं हम,
अपना ही घर जब जकड़ सा रहा है..
ये बचपन रहा ना वो तब सा सुहाना,
करना अगर कुछ तो बचपन वो लाना..
नही चाहिये और कुछ बालपन को,
चाहे ये बस थोड़ी आजादी पाना..
कोई फिर से लौटा दे बचपन के वो दिन,
बने आज बचपन ये फिर से सुहाना..(abhishek)